दो स्वामी भक्त बैल की कहानी

दो स्वामी भक्त बैल की कहानी 

किसी गाँव  में गोपाल नाम का एक किसान रहता था। वह नीमचक गाँव में अपनी पत्नी और एक छोटी प्यारी सी पुत्री के साथ रहता था। गोपाल  बहुत ही मेहनती और सीधा साध इंसान था। लेकिन उसके पास खेती करने के लिए ज्यादा  जमीन नहीं था इसलिए वह दूसरे की जमीन भी बटाई पे लेकर खेती करता था। इसलिए उसने दो सुन्दर बैल भी पल रखा था। गोपाल बैलो से अपने पुत्र की तरह स्नेह करता था। उसे कभी नहीं मारता था हमेशा ही प्यार करता।जब उन्हें खेत पर हल चलाने ले जाता तब भी नहीं पीटता था। जिससे दोनों बैल भी खुश रहते थे। अगर कभी उनका हल मन हल चलने का नहीं होता तो गोपाल उन्हें घर पर लाकर बांध देता था और उनके खाने के लिए हरी तजि घास लाकर दे देता था। 

दो स्वामी भक्त बैल की कहानी

जबकि दूसरे किसान ऐसा नहीं करते थे ो अपने बैलो को मारते - पीटते थे और अच्छा खिलाते भी नहीं थे।  जिस वजह से उनके बैल गोपाल की बैलो के मुकाबले कमजोर और दुबले - पतले थे। इस वजह से गाँव के बाकी किसान गोपाल से नफरत करते थे लेकिन गोपाल को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था की कौन क्या बोलता या सोचता है उसके बारे में  ओ अपनी मेहनत में मगन होता था। जिसके कारण वह दिन प्रति दिन आगे बढ़ता जा रहा था। कारण लोग उससे और जलते थे। पर कोई क्या कर सकता है अगर कोई मेहनत करेगा तो आगे तो बढ़ेगा ही। लेकिन उन किसानो को कौन समझाए की आगे बढ़ने के लिए मेहनत करनी पड़ती है किसी को देख कर जलने से आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। अगर आगे बढ़ना है तो उनकी तरह ही मेहनत करना होगा और अपने बैलो को भी प्यार देना होगा ताकि ओ भी अच्छे से रहे और जी लगाकर मेहनत करे क्योंकि  हर जीव प्यार का भूखा होता है। 

एक दिन की बात है गोपाल हर दिन की तरह सुबह सुबह अपने बैलो को अपने साथ लेकर हल चलाने जा रहा था तभी उसकी नजर अपने खेत में जाती है जिसमे बहुत ही अच्छे हरे हरे मटर लगे थे। लेकिन उसमे एक जानवर घुसकर उसकी सारी फसल को बर्बाद कर रहा था।  फसल को बर्बाद करता देख गोपाल उन्हें भगाने गया लेकिन उल्टा ही हो गया ओ जानवर गोपाल को ही भगाने लगा ऐसा देख गोपाल के दोनों बैल तुरंत ही वहां गए और उस जानवर को मार भगाया और अपने स्वामी की रक्षा की। 

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