Kahani aam ke ped ka dard |
नमस्कार दोस्तो मै हूँ चंदन और मै आप सभी का अपने इस नये ब्लॉग पोस्ट पर स्वागत करता हूँ।
दोस्तो हम सभी ने गर्मी के दिनों मे आम तो खाया है। यह एक बहुत हीं रसीला फल है और खाने मे बहुत ही अच्छा लगता है। पर कुछ लोगो को आम पसंद नही आते पर वहीं कुछ लोगों को ये इतना पसंद आता है की अगर उनके सामने आम का नाम भी ले लो तो ओ तुरंत बोलेंगे कहाँ है।
पर क्या आप ये जानते हैं कि फलो का राजा किसे कहा जाता है?
अगर आप नही जानते हैं, तो मै आपको बता दूँ कि ये उपाधि किसी और को नही बल्कि आम को ही प्राप्त है।
दोस्तो ये तो सभी को मालूम है कि आम खाना सभी को अच्छा लगता है पर क्या आप मुझे बतायेंगे कि आम का पेड़ लगाना और इसकी सेवा करना कितने लोगों को अच्छा लगता है?
एक समय की बात है एक अजनबी एक सुनसान रास्ते से जा रहा था मौसम गर्मी का था और महिना जून का उपर चिलचिलाती धूप थी जिससे दोपहर मे तापमान इतना बढ़ गया था, की किसी को एक कदम चलना मुश्किल हो जाता। फिर भी वह हिम्मत करके आगे बढे जा रहा था। पर उसकी ये कोशिश नाकाम होती दिख रही थी। क्योंकि, उसे बहुत जोर की प्यास लगी थी। रास्ता सुनसान था जिसकी वजह से आस पास कोई घर भी नजर नही आ रहा था। लेकिन फिर भी वह कोशिश कर करके आगे बढ़ रहा था और मन ही मन सोच रहा था, की अगर अभी थोड़ी पानी या आम मिल जाता तो थोड़ी प्यास बुझ जाती। वह सोचते हुए आगे बढ़ ही रहा था, कि उसकी नजर थोड़ी दूर एक बगीचे पर पड़ी। बगीचे को देख कर वह उसी तरफ मुड़ गया और बगीचे मे जाने लगा और बोला भला हो उस इंसान का जिसने यहाँ पर ये बगीचा लगाया है।
कुछ देर चलने के बाद वह आखिर बगीचे के पास बहुँच गया।और पेड़ की छाँव मे जाकर बैठ गया। पर अगर बैठने से अगर प्यास बुझ जाती तो कोई इंसान पानी पीता ही नही। कुछ देर छाँव मे बैठने के बाद उसे दुबारा प्यास लग गयी लेकिन तभी उसकी नजर बगीचे मे लगी एक पुरानी आम की पेड़ पर गयी जिसपर पीले पीले रंग के सुनहले पके हुए आम लगे थे। जिसे देख कर उसके मुह मे पानी भर आयी। वह आम को तोड़ता है और उसे खाना शुरू कर देता है। लेकिन उस आम का स्वाद बाकी के आमो से अलग लगा। जो सायद उसे पसंद नही आया जिससे वह बिना एक पल सोचे तुरंत बोल दिया अब तो इस आम को काट देना चाहिए। पर उसी समय बगीचे का मालिक भी वहाँ पहुँच जाता है। और वह बड़ा ही नम्र भाव से उससे पूछता है। क्या हुआ बेटा इतने गुस्से मे क्यों हो? तब वह इंसान बोलता है ये आम कितने खराब हैं इतना पक जाने पर भी खट्टे लग रहे हैं इसे तो काट देना चाहिए। पर बगीचे का मालिक उसे समझता है क्योंकि ओ जनता है की कितनी मुसीबत के बाद ये पेड़ लगा है। क्योंकि, उसने हर दिन इसकी सेवा की थी तब ये पेड़ आज इतना बड़ा हुआ है, कि इसपे फल लग रहे हैं। ओ उस रही को समझाते हुए कहता है की बेटा तुम्हें इस पेड़ का फल पसंद नहीं आया तो तुम कह रहे हो की इसे काट देनी चाहिए जरा सोचो अगर आज ये पेड़ नहीं होता तो किसकी छाँव मे अभी तुम आराम कर रहे होते। बेटे जब मै इस आम का बीज (गुठली) को जमीन मे बोया था तो मै इसे हर दिन जल से सींचता था। पर इस बात से भी डरता था की ये इससे अंकुर निकलेगे भी या नहीं पर जब इसे अंकुर निकले तो मै बहुत खुश हुआ सोचा की अब तो आम का पेड़ लग गया। पर मै भी नहीं जानता था, की इसे इतना बड़ा होने मे कितनी मुसीबतो का सामना करना पड़ेगा। मैं इसके साथ और भी आम के पेड़ लगाया था लेकिन जब ये छोटे थे तो बच्चे उसे उखाड़ कर ले भागे और उसका बाजा बना लिया और यही एक रह गया। लेकिन जब ये छोटा था तब इसे भी जानवर चर जाया करते ।
कहानी आम के पेड़ की दर्द की |
सायद तुम्हें मालूम नहीं है। जिस तरह से हमारी माँ हमारे लिए हर दुःख को सह लेती है और किसी से कोई शिकायत नही करती है, ठीक वैसे ही ये आम के पेड़ भी हैं ये हमेशा हमे सुख देते है हमारी दुखो को अपने ऊपर ले लेते है लेकिन इसकी शिकायत कभी किसी से नहीं करते ये सभी को समान प्यार देते हैं और कभी किसी से कोई भेद भाव नहीं करते हैं। ये हमे कड़ी धूप मे धूप को अपने उपर ले लेते हैं लेकिन हमे छाँव देते हैं। हमे भोजन और फर्निचर बनाने के लिए अपनी डाली देते हैं। सारी कष्ट को सह कर हमे रसीले फल देते हैं। जैसे अपनी बुढी माँ से दिक्कत होने पर माँ को नहीं छोड़ते हैं। वैसे ही हमे इसे भी तब तक नहीं काटना चाहिए जब की ये पूरी तरह से खुद नहीं सुख जाए। लेकिन इसी के साथ ये कोसिस भी करनी चाहिए की कोई दूसरा पेड़ लग दें। क्योंकि ये भी माँ के समान ही है।
ये सुनकर अजनबी बोला की आगे से मै ऐसा कभी नहीं करूँगा और जितना हो सके पेड़ लगाने कि कोसिस करूँगा।
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